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शहीदों को आतंकवादी कहे जाने पर बहुत हो हल्ला हो चुका, जिसके कारण इस अपराध का निराकरण किया जा चुका है। परन्तु अभी भी उनके शोर्य कार्यों को अपराधिक और अपमानजनक शब्दों मे व्यक्त किया जाता है। जैसे ‘लाहोर बम कांड ‘, ‘काकोरी ट्रेन डकैती ‘, ‘पार्लियामेंट का बम कांड ‘, ‘अल्फ्रेड पार्क का गोली कांड ‘ आदि आदि। शहीदों के कार्यों को कांड और डकेती जैसे अपराधिक शब्दों में व्यक्त करना अत्यंत खेदजनक है। यह शहीद अंग्रज़ो की दृष्टी में अपराधी थे , उन्होंने उनके कार्यों को अपराधिक शब्दों में व्यक्त किया। परन्तु हम जानते हैं कि वह कोई आतंकी या डकैत नहीं थे। उन्हों ने इस देश क़ी आजादी के लिए अपना सब कुछ अर्पण कर दिया था। फिर इस आज़ाद भारत में हम उनके शोर्य कार्यों को आज तक उन्ही अपराधिक और अपमानजनक शब्दों में क्यों व्यक्त कर रहे हैं ?
क्या हम उनके शोर्य कार्यों को इस प्रकार नहीं कह सकते ; जैसे ‘क्रांतिकारियों का लाहोर प्रतिशोध प्रकरण ‘, ‘क्रांतिकारियों का काकोरी अभियान ‘, ‘संसद में क्रांतिकारियों का विस्फोटक सन्देश ‘, ‘अल्फ्रिड पार्क में चंद्रशेखर आज़ाद का उत्सर्ग ‘, आदि आदि।
हम को न केवल अपने शहीदों का सम्मान करना चाहिए , वरन उनके शोर्य कार्यों को भी सम्मानजनक शब्दों में व्यक्त करना चाहिए।
प्रस्तुतकर्ता Anil kumar पर ६:५६ पूर्वाह्न इसे ईमेल करें इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करें Facebook पर साझा करें Google Buzz पर शेयर करें 0 टिप्पणियाँ:
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