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बाबा रामदेवजी से विनम्र निवेदन

vechar veethica
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बाबाजी आप तो स्वदेशी के महान प्रचारक और प्रेरक हो । आप ने भारतीयों को जीवन के हर छेत्र मैं स्वदेशी को अपनाने और विदेशी वस्तुओं के वाहिष्कार का उपदेश दिया है । फिर आप ‘भारत स्वाभिमान ट्रस्ट ‘ के माध्यम से सन 2014 के चुनाव मैं भाग ले कर देश की संसद मैं क्यों पहुचना चाहते हैं ? बाबाजी आप ने और स्वर्गीय राजीव दीक्षित जी ने ही तो बताया था कि भारत का संविधान अंग्रेजों द्वारा बनाए ‘ऐक्ट ऑफ 1935 ‘ के आधार पर ही रचा गया है । इस संविधान द्वारा प्रदत्त यह संसद , यह विधानसभाएँ , यह चुनाव क्या परोक्ष रूप से अंग्रेजो की ही देन नहीं हैं ? यह हमारी प्रशासनिक व्यवस्था , शिक्षा व्यवस्था , न्याय व्यवस्था इस के कानून ( सी पी सी ; सी आर पी सी ) सब ही तो अंग्रेजों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से बनाए गए और आज तक देश मैं उस ही रूप मैं चल रहे हैं । विदेशियों द्वारा निर्मित इस राजनीतिक महल मैं आप जैसा स्वदेशी का पैरोकार प्रवेश करना चाह रहा है । यह अश्चार्जनक है ।
बाबाजी आप का कथन है कि आप इस मैं प्रवेश कर इन सब व्यवस्थाओं को परिवर्तित कर सकते हैं । परंतु अतीत के अनुभव अत्यंत डरावने हैं । अंग्रेजों द्वारा निर्मित यह महल अत्यंत तिलिस्मी है । जो इस मैं जाता है वोह इस ही का हो कर रह जाता है । यह शासकों द्वारा निर्मित है और शासकों के ही अनुकूल है । इस मैं जो जाता है शासक हो जाता है । जनता का सेवक नहीं रहता । वो शासकों को उपलब्ध सुविधाओं को न तो त्यागना चाहते हैं और न ही बदलना चाहते हैं ।
अतीत मैं हम देख चुके हैं कि सन 1947 मैं गांधीजी के चेले इस महल मैं गए और इस महल के ही हो कर रह गए । गांधीजी अप्रासंगिक हो गए । सन 1977 मैं श्री जयप्रकाश नारायण के चेले व्यवस्था परिवर्तन के वायदे के साथ इस महल मैं गए और वोह भी इस महल के ही हो गए । श्री जयप्रकाश नारायन अप्रसंगिक हो गए । बाबाजी अब हम लोग तीसरी बार यह होते नहीं देखना चाहते
बाबाजी हम लोग आप के राजनीत मैं प्रवेश के विरुद्ध नहीं हैं । यह तो आप का अधिकार भी है और कर्तव्य भी । परंतु हम लोग आप के इस तिलिस्मी महल मैं प्रवेश के विरुद्ध हैं । बाबाजी हम लोग आप को असफल होते , अप्रासंगिक होते नहीं देखना चाहते ।
बाबाजी इस लिए आप इस तिलिस्मी महल मैं प्रवेश न कर अंग्रेजो द्वारा निर्मित इस सम्पूर्ण शासन व्यवस्था को जढ़ मूल से उखार डालिए । आप एक नयी संविधान सभा के लिए संघर्ष कीजिये । उस मै आप के चेले जाएगे स्वदेशी संविधान का प्रारूप ले कर ; स्वदेशी प्रशासनिक व्यवस्था और स्वदेशी शिक्षा व्यवस्था की परिकल्पना ले कर ; स्वदेशी न्याय व्यवस्था ,स्वदेशी कानून , स्वदेशी सी पी सी ; सी आर पी सी ; ले कर । और यह सब एक साथ लागू हो गा । अब संशोधनो से कुछ न होगा । देश को अब यह नयी क्रांति चाहिए ।
यह अहिंसक क्रांति बाबाजी आप ही कर सकते हैं । नहीं तो यह क्रांति खून मैं नहा कर आएगी । बाबाजी आप इस तिलिस्मी महल को गिरा कर जो बनाए गे वोह चाङ्क्य की कुटिया होगी । वोह समर्थ गुरु रामदास का आश्रम होगा । उस से संचालित राज व्यवस्था से शहीदों के सपनों का भारत साकार होगा । भारत फिर से विश्व शक्ति बने गा । विश्व गुरु बने गा ।
बाबाजी आप आगे चलिए , भारत की 120 कोटी जनता आप के साथ है ।

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