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भष्टाचार के विरुद्ध आगे के संघर्ष के लिए अन्नाजी और रामदेवजी को सुझाव है की वे केवल मंज ही साझा न करें लक्ष भी साझा करे . जब दोनों का उद्देश भ्रष्टाचार मुक्त व्यस्था की स्थापना करना है तो क्या यह उचित है कि, एक लोकपाल बिल के लिए और दूसरा विदेशों से काला धन वापस लाने के लिए संघर्ष करे. अंतिम उद्देश को प्राप्त करने के लिए , प्राथमिकताओं के आधार पर पहले छोटे छोटे लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए , और फिर उनको प्राप्त करने के लिए संयुक्त रूप से संघर्ष होना चाहिए .
यदि लक्ष्यों कि प्रथमिकताये निर्धारित करनी हों तो मेरे विचार से सबसे पहले चुनाव सुधार होने चहिये . क्योंकि चुनाव में धन का प्रचुर प्रयोग ; चुनाव के दोरान और चुनाव के बाद व्यापक भ्रष्टाचार को जन्म देता है . यदि हम धन बल से मुक्त चुनाव व्यवस्था बना सके तो भ्रष्टाचार के बहुत बड़े अंश पर अंकुश लग जायेगा .
दूसरी प्राथमिकता होनी चाहिए , ‘ न्यायिक सुधार ‘ . यदि कानून सख्त होगे और न्याय जल्द मिलेगा तो भ्रष्टाचार को और अधिक नियंत्रित करना संभव हो सकेगा
तीसरी प्राथमिकता होनी चाहिए , ‘जन लोकपाल बिल ‘. जिसके द्वारा शेष बचा भ्रष्टाचार भी समाप्त किया जा सकेगा और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था को स्थायी बनाया जा सकेगा .
चौथी और अंतिम प्राथमिकता के रूप में विदेशों में जमा काले धन को स्वदेश लाने का प्रयास होना चाहिए . क्योंकि बिना उपरोक्त व्यवस्थाओं को स्थापित किये , यह प्रयास ऐसा ही होगा जेसे , ‘ छन्नी में दुहना ‘ . यदि वर्तमान व्यवस्था के रहते स्वीस बैंकों से कला धन लाया भी गया तो वोह सिंगापूर और हांगकांग के बैंकों में चला जायेगा . इसलिए हमको पहले अपने घर की व्यस्वस्था दुरुस्त कर लेनी चाहिए , तब ही विदेशों में जमा काले धन का वास्तविक लाभ देश को मिल सकेगा
आशा है दोनों महानुभाव इस पर ध्यान देंगे .
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