Menu
blogid : 1178 postid : 609783

हिंदी ब्लागिंग हिंदी के मान सम्मान की वाहक हो सकती है ; बशर्ते………..!! – contest

vechar veethica
vechar veethica
  • 31 Posts
  • 182 Comments

अप्रेल २००३ में श्री आलोक कुमार ने हिंदी का पहला ब्लाग ‘ नो दो ग्यारह ‘ लिखा , और उसको नाम दिया ‘चिट्ठा’ | तब से अबतक हिंदी ब्लागिंग की प्रगति पर कुछ संतुष्ट हुआ जा सकता है | मंद गति से आरम्भ होने वाली हिंदी ब्लागिंग ने सन २००७ के उपरांत रफ़्तार पकड़ ली | यह इंटरनेट पर हिंदी के टायपिंग टूल्स और ट्रांस्लिट्रेशन सुविधा उपलब्ध हो जाने के कारण संभव हुआ | आज तकनीक ने इंटरनेट पर हिंदी लिखने की और भी सुविधाएँ उपलब्ध करा दी हैं | देश के अनेक प्रतिष्ठित हिंदी समाचारपत्र अपनी इंटरनेट साइट्स पर निःशुल्क ब्लाग बनाने के सुविधा दे रहे हैं | इनके अतिरिक्त ‘ ब्लागर ‘ , ‘ ब्लागस्पाट ‘ , ‘ वर्डप्रेस ‘ , ‘ लाइव जर्नल ‘ आदि भी हिंदी में सशुल्क एवं निशुल्क ब्लाग बनाने की सुविधा दे रहे हैं | ‘ अक्षरग्राम नेटवर्क ‘ पर ब्लागिग से सम्बन्धित अनेक सेवाएं उपलब्ध हैं | ‘ ब्लागजगत ‘ , ‘ब्लागप्रहरी ‘ , ‘चिट्ठाजगत ‘ आदि हिंदी ब्लॉगों का संकलन प्रस्तुत करते हैं | ‘ गुगुल ‘ के अतिरिक्त ‘ टेक्नोरेती ‘ सर्च इंजन ब्लॉगों को खोजने में सहायता करते हैं | यह सब देख सुन कर अच्छा लगता है , परन्तु ब्लागिंग के विस्तृत पटल पर देखते हैं तो हिंदी ब्लागिंग को शैशवावस्था में ही पाते हैं | गत शताब्दी के अंतिम दशक में प्रारंभ हुई ब्लागिंग ने देश देशांतर की विभिन्न भाषाओँ में जो प्रगति की है , उसकी तुलना में हिंदी ब्लागिंग अभी अपरिपक्व ही है | यहाँ तक की अपने देश की उर्दू भाषा भी ब्लागिंग में हिंदी से आगे है |

आजकल अपने देश में ही अनेक लेखक , कवि , साहित्यकार ,पत्रकार , नेता , अभिनेता आदि अपने अपने ब्लाग लिख रहे हैं | इसके साथ ही धर्म , आध्यात्म , इतिहास , राजनीती , पर्यावरण , बनजीव , स्वास्थ , यात्रा , भोजन , खेल आदि विभिन्न विषयों के अतिरिक्त विभिन्न रुचियों पर भी ब्लाग लिखे जारहे हैं | परन्तु इनमें अधिकांश ब्लाग अंग्रेजी भाषा में हैं ,और हिंदी का हिस्सा अत्यंत अल्प है | रवीश कुमार , अविनाश दास , जैसे पत्रकारों के अतिरिक्त शास्त्री फ्लिप्स ( J. C. Philip ) , रविरतलामी , देवाशीष , डा० कविता बच्कान्वी आदि कुछ ब्लागर्स ही हिंदी में मौलिक और परिपक्व ब्लाग लेखन का दायित्व उठाये हुए हैं ; जबकि हिंदी के प्रख्यात लेखकों , कवियों , साहित्यकारों आदि की उपस्थिति इस मंच पर नगण्य ही है | हिंदी भाषी अनेक नेता और अभिनेता , कम्प्यूटर और इंटरनेट प्रशिक्षित व्यक्तियों की सेवाएं लेकर भी अपने ब्लाग अंग्रेजी में लिखवाते हैं , हिंदी में नहीं | यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है |

हिंदी ब्लागिंग के इस पिछड़ेपन का एक कारण तो यह है कि हिन्दीभाषी युवावर्ग जो कम्प्यूटर और इन्टरनेट का पारंगत है , वह अंग्रेजी के अधिक प्रभाव में है , और हिंदी से विमुख है | हिन्दीभाषी वह युवावर्ग जिसकी अभिव्यक्ति कि प्रमुख भाषा हिंदी है , वह कम्प्यूटर और इन्टरनेट में इतना निष्णात नहीं है और इतना सम्पन्न नहीं है कि हिंदी ब्लागिंग में अग्रणी भूमिका निभा सके |

दूसरा कारण ‘ इंडिक कम्प्युटिंग ‘ , ‘ इंडिक युनिकोडिंग ‘ आदि के उपरांत भी इन्टरनेट पर हिंदी लिखने की सुविधाएँ अभी भी अंग्रेजी के समकक्ष नहीं है |

अंत में सबसे प्रमुख कारण , हम हिंदीभाषियों में अपनी भाषा के प्रति प्रतिबद्धता में कमी है |

इन कारणों के निराकरण के लिए ‘ जागरण जंक्शन ‘ द्वारा ‘ contest ‘ जैसे आयोजन सराहनीय और अनुकरणीय हैं | इससे ब्लागरों की संख्या बढ़ती दीख रही है | इस प्रकार के आयोजन विभिन्न विषयों की विभिन्न विधाओं में भी हों तो और भी लाभकारी होगा | इसके अतिरिक्त विख्यात साहित्यकारों और विषय विशेषज्ञों का अतिथि सम्पादक के रूप में मार्गदर्शन की सुविधा प्राप्त हो सके तो हिंदी भाषा और हिंदी ब्लागिंग दोनों के लिए हितकारी होगा |

ब्लागिंग अभिव्यक्ति की उन्मुक्त स्वतंत्रता है | संस्कारहीन स्वतंत्रता स्वेच्छाचारिता एवं उच्छृंखलता में परिवर्तित हो सकती है | इसके अतिरिक्त जब जनसामान्य ब्लागिंग से अर्थोपार्जन की सम्भावनाओं से अवगत होगा , तब हिंदी भाषा के बाजार के दुश्चक्र में पड़ने की सम्भावना प्रबल होगी | इसलिए अभी से हिंदी ब्लागिंग का विकास संस्कारयुक्त साहित्यकारों और विद्द्वानों के संरक्षण में होना आपेक्षित है | इसका प्रबन्धन विभिन्न ब्लागिंग मंच कर सकते हैं |

सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हम ब्लागर्स , ब्लागिंग को गम्भीरता से लें | ब्लागिंग मात्र बुद्धि-विलास के लिए न होकर बुद्धि-विकास के लिए हो | इसके लिए दृष्टि विस्तृत और सोच को बड़ा करना पड़ेगा | खूब पढ़ना पड़ेगा | ‘ जागरण जंक्शन मंच ” की पाठशाला के हम प्रशिक्षु ब्लागर यह निश्चय करें , कि भविष्य में हम ब्लागिंग के संस्थान बनकर , ब्लागिंग के महाविद्द्यालय बनकर हिंदी ब्लागिंग को उन ऊँचाइयों पर ले जाएगे , जहाँ हिंदी सहित विभिन्न विषयों के शोधार्थी अपने शोध के लिए पधारेंगे | हिंदी फिल्मो के निर्माता और निर्देशक अच्छी कहानियों के लिए हिंदी ब्लॉगों को खंगालेंगे | मनुष्यों कि विभिन्न रुचियाँ हिंदी ब्लॉगों कि वीथिकाओं में भ्रमण कर संत्रप्त हो जायेंगीं | धर्म , आध्यात्म , काव्य और कला के जिज्ञासु हिंदी ब्लागिंग के उपवन में विश्रांति पाएंगे | तब हिंदी ब्लागिंग निश्चित ही हिंदी को मान सम्मान दिलाने में सार्थक होगी |

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh