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अभी तो लट्टू घूम रहा है – contest

vechar veethica
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डोरी अथवा स्प्रिंग से बल दे कर जब लट्टू घुमाया जाता है , तो वह एक पैर अर्थात कील पर नाचता है | देखने में आनंददायक और मोहक प्रतीत होता है | बरबस निगाहें उस ओर खिच जाती हैं | विशेषकर उनकी जिन्हों ने पहली बार कोई लट्टू घूमते देखा हो | परन्तु जिन्हों ने सन १९७७ में आपातकाल के आक्रोश से , उत्पन बल से ‘ जनता पार्टी ‘ का लट्टू घूमते देखा हो , या तेलगु बिट्टा के बल से ‘ तेलगु देशम पार्टी ‘ का लट्टू घूमते देखा हो , अथवा असमी अस्मिता के बल से ‘ असम गण परिषद ‘ का लट्टू घूमते देखा हो , वह जानते हैं कि लट्टू कि अंतिम परणिति क्या होती है | आज पक्ष और विपक्ष कि नाकारा भूमिकाओं से उत्पन आक्रोश के बल पर दिल्ली में ‘ आम आदमी पार्टी ‘ का लट्टू घूम रहा है | बड़ा मोहक लग रहा है | भीड़ एकत्रित हो रही है | लोग व्यवस्था परिवर्त्तन कि आस लगाये हैं |

आखिर यह ‘ व्यवस्था ‘ है क्या ? जिसको परिवर्तित करने के आश्वासनों और आपेक्षों का ज्वार उफान पर है | प्रथमदृष्टया इससे ‘ शासन व्यवस्था ‘ का ही बोध होता है | शासन व्यस्था क्या है ? शासन का आधार है , हमारा संविधान और उसके द्वारा सृजित कार्यपालिका , विधयिका , न्यायपालिका एवं नौकरशाही जो वस्तुतः कार्यपालिका का ही अंग है | क्या इसमें परिवर्त्तन करना है ? यदि हाँ तो क्या परिवर्त्तन करना है , और कैसे करना है ?

आम आदमी के लिए व्यवस्था परिवर्त्तन क्या है ? यह ही कि उसको दो वख्त कि रोटी मिल जाये , रहने को घर , पहनने को कपड़ा मिल जाये | बच्चों को शिक्षा और बीमार होने पर इलाज मिल जाये | और उसके समस्त कार्य बिना रिश्वत के सहजता से हो जाएँ | बस | परन्तु यह तो किसी भी शासन व्यवस्था से आपेक्षित परिणाम हैं | यदि आप जनता को उसके आपेक्षित परिणाम देने में सफल हो पा रहे हैं , तो इस लिए क्योंकि आप और आप के जैसे ईमानदार साथी सत्ता में हैं | यह तो आप के सुशासन का परिणाम है , व्यवस्था परिवर्त्तन नहीं | क्या आप के अनुसार , आप का सत्ता में होना ही व्यवस्था परिवर्त्तन है ? व्यवस्था परिवर्त्तन है ; आप सत्ता में रहें ,न रहें , कोई भी सत्ता में रहे ; जनता को उपरोक्त आपेक्षित परिणाम मिलना सुनिश्चित रहे | आदरणीय केजरीवाल जी आज आप के पास अपार सफलताएं हैं , भीड़ है , शोहरत है | परन्तु इस सब के बाद भी यदि आप के पास नहीं हैं , तो आप के गुरु अन्ना नहीं हैं | क्यों ? क्यों कि वह यह जानते हैं , यह व्यवस्था परिवर्त्तन नहीं है , और यह रास्ता व्यवस्था परिवर्त्तन कि ओर जाता भी नहीं है |

यह सही है की आज लोगों का विशाल हुजूम आप से जुड़ने को आप के दरवाजे पर उमड़ रहा है | परन्तु आप भ्रमित मत होइए गा | यह सब व्यवस्था परिवर्त्तन के सिपाही नहीं हैं | इनमें अनेक सत्ता के सौदागर होंगे , जो सत्ता के छू कर वह खमीर उत्पन करते हैं , जो कांग्रेस को पचास साल में सड़ा देती है , और भा. ज. पा. को मात्र पांच साल में | अन्ना इन पर ही छन्ना लगाना चाहते थे | वह चाहते थे कि , व्यवस्था वह बननी चाहिए जिसमें पार्टियां कोई भी हो , परन्तु राजनीति और सत्ता में केवल अच्छे एवं ईमानदार लोगों का आना ही सुनिश्चित हो सके | व्यवस्था वह बननी चाहिए , जिसमें स्थानीय मुद्दों पर शासन के निर्णयों में स्थानीय जनता कि भागेदारी हो | प्रजातंत्र में जनता का अधिकार मात्र पांच साल में एक बार वोट देने तक ही सिमित न हो | व्यवस्था वह बननी चाहिए , जिसमें जनता को भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार हो |

ऐसा नहीं है कि सत्ता परिवर्त्तन कि बात पहली बार हो रहीहो | गत शताब्दी में सत्तर के दशक में आदरणीय जयप्रकाश नारायण ने व्यवस्था परिवर्त्तन का स्वप्न संजोया था | आज उनके सिपहसलार सत्ता के शिखरों पर आरूढ़ हैं ; जयप्रकाश नारायण और उनके स्वप्न अब उनके लिए अप्रसांगिक हो चुके हैं | योग गुरु बाबा रामदेव ने भी व्यवस्था परिवर्त्तन कि हुंकार भरी थी | पर अब उसकी भी गूंज कहीं खो चुकी है | वस्तुतः इन सबने व्यवस्था से आपेक्षित जनकल्याणकारी परिणामों कि तो चर्चा की , परन्तु परिवर्तित व्यवस्था का कोई स्वरुप कभी किसी ने प्रस्तुत नहीं किया | अरविन्द केजरीवाल जी आप ने भी नहीं |

अन्ना के पास इसका स्प्ष्ट स्वरुप है | वह जनलोकपाल बिल के लिए निगरानी समितियों कि बात करते हैं | वह मोहल्ला समितियों कि बात करते हैं | सही है ; वास्तविक लोकतंत्र कि स्थापना के लिए छोटी इकाईयां स्थापित होनी चाहिए | ग्राम स्तर पर पंचायत और नगरों मैं वार्ड भी बड़ी इकाईयां हैं | छोटी इकाईयां स्थापित करनी होंगी | अन्ना का मंतव्य बूथ स्तर की गैर राजनीतिक स्थायी समितियों की स्थापना से पूरा किया जा सकता है | इनका सवरूप स्पष्ट और निर्धारित होगा | देश में ५४३ लोकसभा क्षेत्र हैं | एक लोकसभा क्षेत्र में औसत १५०० बूथ होती हैं | यदि इन १५०० समितियों की स्थापना हो जाए ,तो इनके द्वारा अन्ना के लोकपाल एवं इस प्रकार के अन्य कानूनो की निगरानी सम्भव हो सकती है | इनके माध्यम से शासन के स्थानीय निर्णयों में जनता की भागेदारी सुनिश्चित की जा सकती है | इनके माध्यम से , उस क्षेत्र विशेष से सभासद , पार्षद , विधायक और सांसद का चुनाव कौन कौन प्रत्याशी लड़े , इस पर छन्ना लगाया जा सकता है | आवश्यकता पड़ने पर , इनके माध्यम से चुने हुए जनप्रतिनिधियों को वापस भी बुलाया जा सकता है | समय आने पर इन समितियों को संवैधानिक मान्यता दिलवाई जा सकती है | चाहे इसके लिए ‘ जनलोकपाल बिल आंदोलन ‘ से भी बड़ा जनांदोलन करना पड़े | जैसे जैसे जनता प्रजातंत्र में दीक्षित जाये , उसी अनुसार इन समितियों के अधिकार और बढ़ाए जा सकते हैं | इन समितिओं के माध्यम से जनता और सरकार के मध्य दूरी कम होगी एवं प्रजातंत्र और अधिक सार्थक होगा |

केजरीवाल जी आप की इतनी सफलताओं के बाद भी आप के गुरु अन्ना अभी तक प्रभावित नहीं हुए | क्यों ? आप को सोचना चाहिए | वास्तव में दिल्ली में आप ने जो फसल काटी है वह अन्ना की ही बोई हुई थी | अन्ना तो आप को राजनीति के अखाड़े का रेफरी बनाना चाहते थे , परन्तु अखाड़े के पहलवानों ने आप को चुनौती दे कर , आप को अखाड़े का खिलाडी बना दिया | आप के गुरु का आंकलन सही है | इस व्यवस्था के अंदर जा कर इस व्यवस्था को बदलना सम्भव नहीं है | यह व्यवस्था अतयंत निर्मम है | यह या तो आप को अपने अनकूल बना लेगी , या आप को अपने से दूर निकल फेंके गी | ऐसा कुछ हो , इससे पहले लौट आइये , अपने गुरु के पास और डाल दीजिये अपनी इस ‘ आम आदमी पार्टी ‘ को उनके चरणों में , एक गैर राजनीतिक दल के रूप में | अखाड़े में आपका कार्य पूर्ण हो चूका है | अखाड़े के पहलवानों को आम आदमी की ताकत का अहसास हो गया है | वह सुधरे गे | यदि नहीं सुधरेगे , तो आप और अन्ना हैं ना |

केजरीवाल जी मैं आप कि त्याग और तपस्या का कायल हूँ | मुझको आप कि नियत , ईमानदारी और देशभक्ति पर भी कोई संदेह नहीं है | परन्तु आप ने रास्ता गलत चुना है | अन्ना का ही रास्ता सही है | आइये और अन्ना के साथ मिल कर उनके सपनों को साकार कीजिये | इसके लिए आपको पूरे देश मैं लगभग नौ लाख समितियों की स्थापना करनी होंगी | निश्चित रूप से यह कार्य अत्यंत बड़ा और कठिन है | यह चुनाव लड़ कर जीतने जैसा आसान नहीं है | परन्तु यदि वास्तव मैं व्यवस्था परिवर्त्तन करना है तो , यह करना ही होगा | आप और अन्ना मिल कर निश्चित रूप से इस महान कार्य को सम्पन्न कर सकते हैं | इसलिए लौट आइये अन्ना के पास | परन्तु मुझको मालूम है कि आप अभी नहीं लौट सकते ; क्योकि अभी तो आपका लट्टू घूम रहा है |

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